केदारनाथ: शिव की नगरी का इतिहास, महत्व और 2013 की आपदा

केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड में स्थित एक प्राचीन और पवित्र हिंदू तीर्थ स्थल है, जिसे भगवान शिव को समर्पित किया गया है। इस मंदिर की स्थापना का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव की पूजा और आराधना करना था, जो कि हिंदू धर्म में अत्यधिक पूजनीय देवता माने जाते हैं। आइए, केदारनाथ मंदिर के इतिहास, निर्माण, धार्मिक महत्व, दर्शन के समय, और 2013 की आपदा के बारे में विस्तार से जानें.




केदारनाथ मंदिर का इतिहास और निर्माण:

केदारनाथ मंदिर का निर्माण पौराणिक कथाओं के अनुसार पांडवों ने करवाया था। महाभारत युद्ध के बाद पांडव अपने पापों के प्रायश्चित के लिए भगवान शिव की खोज में निकले थे। शिव जी ने पांडवों से मिलने से बचने के लिए विभिन्न रूप धारण किए थे, और अंत में उन्होंने भैंसे का रूप धारण कर लिया। पांडवों ने जब शिव जी को खोज निकाला, तो भगवान शिव ने स्वयं को पांच भागों में विभाजित कर लिया, जिसमें केदारनाथ में उनकी पीठ प्रकट हुई। यह मंदिर उन्हीं के पवित्रता और शक्ति का प्रतीक है।
केदारनाथ की पौराणिक कथा

केदारनाथ की एक प्राचीन पौराणिक कथा भी प्रसिद्ध है। कथा के अनुसार, महाभारत के युद्ध के बाद पांडव अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए भगवान शिव के दर्शन करने के लिए केदारनाथ पहुंचे। शिव जी पांडवों से बचने के लिए भैंस का रूप धारण कर केदारनाथ में छिप गए। पांडवों ने उन्हें पहचान लिया, तब शिव जी ने भैंस के रूप में धरती में समाने की कोशिश की। भीम ने उनकी पूंछ पकड़ ली, जिससे शिव जी के शरीर के अलग-अलग भाग विभिन्न स्थानों में प्रकट हुए। केदारनाथ में उनकी पीठ का हिस्सा प्रकट हुआ और वहीं पर केदारनाथ मंदिर का निर्माण हुआ।

केदारनाथ में दर्शन के लिए उपयुक्त समय:


केदारनाथ मंदिर का द्वार श्रद्धालुओं के लिए अप्रैल से नवंबर तक खुला रहता है। इस समय के दौरान मौसम अपेक्षाकृत सुखद और अनुकूल रहता है, जो भक्तों के लिए यात्रा को आसान बनाता है। मंदिर के कपाट अक्षय तृतीया के दिन खुलते हैं और कार्तिक पूर्णिमा के दिन बंद हो जाते हैं। सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं, और भगवान शिव की मूर्ति को उखीमठ स्थानांतरित कर दिया जाता है।


2013 की आपदा और उसका प्रभाव:


2013 में, केदारनाथ में भीषण प्राकृतिक आपदा आई थी, जिसे केदारनाथ आपदा के नाम से जाना जाता है। इस दौरान भारी बारिश और बादल फटने के कारण बाढ़ और भूस्खलन हुए, जिससे मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों में भारी नुकसान हुआ। सैकड़ों लोग मारे गए, और कई हजार लोग फंसे हुए थे। इस आपदा ने केदारनाथ और उत्तराखंड राज्य को भारी नुकसान पहुँचाया, लेकिन मंदिर की मुख्य संरचना को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ।

केदारनाथ मंदिर न केवल धार्मिक महत्व का स्थल है, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं, और इसकी प्राकृतिक सुंदरता और पवित्रता से अभिभूत होते हैं।

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