उत्तराखंड को "देवभूमि" कहा जाता है, जहाँ प्रकृति का हर अंश पूजनीय है. यहां की नदियाँ सिर्फ जलधाराएँ नहीं, बल्कि जीवनदायिनी और आस्था की प्रतीक हैं. इनमें से कई नदियों के पीछे सदियों पुरानी कथाएँ और मान्यताएँ जुड़ी हुई हैं.
आइए जानते हैं उत्तराखंड की 10 सबसे बड़ी नदियाँ, उनकी लंबाई, उद्गम स्थान और उनसे जुड़ी कहानियाँ.1: गंगा नदी (Ganga River):
लंबाई: लगभग 2,525 किमी
गंगा उत्तराखंड की सबसे पवित्र नदी मानी जाती है और इसका उद्गम गंगोत्री से होता है. देवप्रयाग में भागीरथी और अलकनंदा नदियों का संगम होता है, जिसके बाद इसे गंगा नदी के नाम से जाना जाता है.
गंगा नदी को देवी का स्वरूप माना जाता है, जिसे "माँ गंगा" कहा जाता है. माना जाता है कि माँ गंगा भगवान शिव की जटाओं से पृथ्वी पर उतरी थी जिससे ये और भी पवित्र मानी जाती है. हरिद्वार में गंगा आरती का आयोजन हर शाम होता है जो श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है.
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देवप्रयाग संगम, उत्तराखण्ड |
2: यमुना नदी (Yamuna River):
लंबाई: लगभग 1,376 किमीउद्गम स्थल: यमुनोत्री ग्लेशियर, उत्तरकाशी
यमुना नदी का उद्गम यमुनोत्री से होता है. यमुना को यमराज की बहन माना जाता है और भाई दूज के दिन इसका विशेष महत्व होता है. यमुनोत्री धाम में इस नदी की पूजा की जाती है और यहां आने वाले श्रद्धालु इसमें स्नान कर अपने पापों से मुक्ति पाने की मान्यता रखते हैं.
3:शारदा (महाकाली) नदी (Sharda Mahakali River)
लंबाई: लगभग 350 किमीउद्गम स्थल: कालापानी, पिथौरागढ़
शारदा नदी, जिसे महाकाली और काली नदी के नाम से भी जाना जाता है. शारदा नदी का उद्गम स्थान कालापानी है जो उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित है. वर्तमान समय में काला पानी भारत और नेपाल के बीच विवाद का कारण भी है. दोनों देश दावा करते हैं कि यह क्षेत्र उनके अधिकार क्षेत्र में आता है.
नेपाल में इस नदी को महाकाली और भारत में काली नदी के नाम से जाना जाता है .उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों में पहुंचने पर इसे शारदा नदी के नाम से जाना जाता है.
यह नदी कुमाऊँ क्षेत्र के लिए जल का मुख्य स्रोत है.
महाकाली का नाम देवी काली के नाम पर पड़ा है, और लोग इसे शक्ति की प्रतीक मानते हैं. कई त्योहारों पर लोग इसकी पूजा करते हैं.
4: भागीरथी नदी (Bhagirathi River)
लंबाई: लगभग 205 किमीउद्गम स्थल: गंगोत्री ग्लेशियर, उत्तरकाशी
भागीरथी गंगा की प्रमुख धारा है, जो देवप्रयाग में अलकनंदा से मिलकर गंगा बनती है .इसका नाम राजा भगीरथ के नाम पर पड़ा है, जिन्होंने गंगा को धरती पर लाने के लिए कठोर तपस्या की थी.
भागीरथी गंगा की प्रमुख धारा है, जो देवप्रयाग में अलकनंदा से मिलकर गंगा बनती है .इसका नाम राजा भगीरथ के नाम पर पड़ा है, जिन्होंने गंगा को धरती पर लाने के लिए कठोर तपस्या की थी.
5: अलकनंदा नदी (Alaknanda River):
लंबाई: लगभग 195 किमीउद्गम स्थल: सतोपंथ ग्लेशियर, चमोली
अलकनंदा, गंगा की एक प्रमुख धारा है. इसका उद्गम सतोपंथ ग्लेशियर से होता है और देवप्रयाग में यह अलकनंदा नदी, भागीरथी नदी से संगम करती है, जिसके बाद इसे गंगा नदी के नाम से जाना जाता है.
बद्रीनाथ धाम के पास से होकर गुजरने वाली यह नदी स्थानीय लोगों के लिए विशेष पूजा का केंद्र है. यहां इसे शिव और विष्णु की कृपा प्राप्त नदी माना जाता है.
6:रामगंगा नदी (Ramganga River)
लंबाई: लगभग 158 किमी
उद्गम स्थल: दूधातोली पर्वतमाला, पौड़ी गढ़वाल और चमोली
रामगंगा उत्तराखंड की दूधातोली पर्वतमाला से निकलती है जो पौड़ी गढ़वाल और चमोली जिलों में लगभग 30 किलोमीटर तक फैला हुआ एक घना वन्य क्षेत्र है.
रामगंगा नदी उत्तराखंड में 158 किलोमीटर बहने के बाद उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में प्रवेश करती है, जिसके बाद इसकी कुल लंबाई लगभग 596 किलोमीटर हो जाती है.
इसका पानी खेती और घरेलू कामों के लिए उपयोग किया जाता है.
रामायण के समय से ही रामगंगा का महत्व है. स्थानीय लोग मानते हैं कि राम ने इस नदी के किनारे तपस्या की थी, और इसलिए इसे रामगंगा कहा जाता है.
7: कोसी नदी नदी (Kosi River)
लंबाई: लगभग 168 किमी
उद्गम स्थल: धारपानी धार, अल्मोड़ा
कोसी नदी उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में धारपानी धार के पास से निकलती है और रामनगर शहर से होकर यह उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है.
यह कुमाऊं क्षेत्र की महत्वपूर्ण नदियों में से एक है और खेती के लिए मुख्य जलस्रोत है.
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क और गर्जिया देवी मंदिर इस नदी के आसपास स्थित कुछ प्रसिद्ध स्थल हैं.
कहा जाता है कि कोसी नदी देवी काली का आशीर्वाद है, और इसके पानी को पवित्र माना जाता है. स्थानीय लोग इस नदी की पूजा करते हैं. विशेष रूप से नवरात्रि के समय लोग कोसी के तट पर दीप जलाते हैं और इसे पवित्र मानते हैं.
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कोसी नदी,गर्जिया देवी मंदिर के समीप |
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8: धौलीगंगा नदी (Dhauliganga River)
लंबाई: लगभग 94 किमी
उद्गम स्थल: नीति घाटी ,चमोली
धौलीगंगा अलकनंदा की एक सहायक नदी है जो नीति घाटी से निकलती है चमोली जिले में बहती है.विष्णुप्रयाग में धौलीगंगा नदी अलकनंदा नदी में आकर मिलती है।
यह नदी शांति और सौम्यता का प्रतीक मानी जाती है. यहाँ के लोग इसकी पूजा करते हैं और मानते हैं कि इसके पानी से स्वास्थ्य लाभ मिलता है.
9: मंदाकिनी नदी (Mandakini River)
लंबाई: लगभग 92 किमी
उद्गम स्थल: चोराबाड़ी ग्लेशियर, केदारनाथ
मंदाकिनी नदी केदारनाथ से निकलती है और रुद्रप्रयाग में अलकनंदा नदी से मिलकर गंगा में विलीन हो जाती है.
कहा जाता है कि भगवान शिव की कृपा से यह नदी प्रकट हुई थी. केदारनाथ यात्रा के दौरान इस नदी का महत्व बहुत बढ़ जाता है और भक्त इसे पवित्र मानते हैं.
10: नंदाकिनी नदी (Nandakini Riverv)
उद्गम स्थल: नंदा देवी पर्वत,चमोली
नंदाकिनी नदी चमोली जिले में बहती है. क्योंकि इस नदी का उद्गम स्थल नंदा देवी पर्वत है इसलिए इसका नाम नंदाकिनी पड़ा.
इस नदी का सफर उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों तक ही सीमित रहता है. नंदप्रयाग में यह अलकनंदा नदी से संगम करती है, जो आगे देवप्रयाग में भागीरथी नदी से मिलकर गंगा नदी का रूप लेती है.
नंदा देवी के नाम पर बनी इस नदी को नंदा देवी का आशीर्वाद माना जाता है. स्थानीय लोग इस नदी की पूजा करते हैं और इसके पानी को पवित्र मानते हैं.
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नंदाकिनी नदी, नंदप्रयाग |
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