BHAGAT SINGH RAWAT मटकुंडा गांव का अनमोल रत्न

उत्तराखंड के पौड़ी जिले के मटकुंडा(Matkunda) गांव में एक ऐसा व्यक्ति था, जिसका नाम था भगत सिंह रावत. भगत सिंह रावत केवल एक नाम नहीं था, बल्कि वह एक मिसाल थे मेहनत, समर्पण और समाज सेवा की. वे हमेशा अपने गांव के लोगों के लिए तत्पर रहते थे, और गांव के प्रत्येक व्यक्ति के मित्र थे.


प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:

भगत सिंह रावत जी का जन्म साल 1968 में मटकुंडा के एक साधारण परिवार में हुआ. इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा PIC INTER COLLEGE ललितपुर से पूरी की. हालांकि, वे पढ़ाई में बहुत अच्छे नहीं थे, लेकिन उनका अपने गांव और खेती के प्रति प्यार असीमित था. वे पढ़ाई से अधिक अपने खेतों और गांव की सेवा में रुचि रखते थे.


कठिन परिश्रम का प्रतीक:

भगत सिंह रावत को मेहनती कहने से उनका पूरा व्यक्तित्व समझ पाना शायद मुश्किल हो. एक समय था गांव के अधिकांश युवा जब दिल्ली और अन्य शहरों में रोजी-रोटी कमाने के लिए चले गए, तब भगत सिंह रावत ने गांव के लगभग हर परिवार के खेतों को जोतने का जिम्मा अपने कंधों पर लिया. उनकी मेहनत और दृढ़ संकल्प ने उन्हें गांव के हर व्यक्ति के दिल में खास जगह दी. वे कभी थकते नहीं थे और हमेशा मुस्कुराते रहते थे, चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हो.


समाज के हर पहलू में अग्रणी:

भगत सिंह रावत केवल एक मेहनती किसान नहीं थे, बल्कि वे सामाजिक कार्यों में भी अग्रणी भूमिका निभाते थे. चाहे कोई त्यौहार हो, शादी-ब्याह का आयोजन हो, या कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम, भगत सिंह रावत हमेशा आगे रहते थे। उनके नेतृत्व में हर कार्यक्रम सफलतापूर्वक सम्पन्न होता था. उनके साथ होने से लोगों में एक अलग ही जोश और उत्साह का संचार होता था.






हर दिल अजीज:

भगत सिंह रावत की सबसे बड़ी खूबी थी उनका मिलनसार स्वभाव। वे हर उम्र के लोगों के मित्र थे और उनकी बातें सुनने के लिए हमेशा तैयार रहते थे. गांव के बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी उनसे अपने दिल की बात साझा करते थे। उनकी सलाह और मार्गदर्शन हमेशा लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत रहे.





अंतिम दिन और विदाई:

लंबी बीमारी के बाद, 29 अगस्त 2024 को भगत सिंह रावत का निधन हो गया. उनका जाना न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि पूरे गांव के लिए एक अपूरणीय क्षति है. उनके जाने से ऐसा महसूस होता है जैसे एक युग का अंत हो गया हो. उनकी यादें, उनकी मेहनत और उनका प्यार हमेशा सभी के दिलों में जीवित रहेंगे.


भगत सिंह का जीवन हमें क्या सिखाता है?

भगत सिंह रावत का जीवन हमें यह सिखाता है कि मेहनत, समर्पण और समाज सेवा ही सच्चे जीवन के मूल मंत्र हैं। उन्होंने अपने गांव के लिए जो किया, वह सदियों तक याद रखा जाएगा.

उनका जीवन हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो अपने समाज और देश के लिए कुछ करना चाहता है। भगत सिंह रावत, मतकुंडा गांव के लिए सदैव एक अनमोल रत्न रहेंगे.

इस प्रकार भगत सिंह रावत जी का जीवन हमें सिखाता है कि एक व्यक्ति के प्रयास से पूरे समाज का कल्याण हो सकता है। उनके योगदान और समर्पण के लिए पूरा मतकुंडा गांव सदैव उनका आभारी रहेगा.

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3 टिप्पणियाँ

  1. कतगा ही लोग ऊ कु स्टाइल म ठ्ठा भि लगान्द छे - हाँ ब्येटा ! ज्ये दिन तुम हमारे उमर ऐला न्ह तब चितैला😢😢🙏
    विनम्र श्रद्धांजलि चाचा जी को🙏🙏🙏🙏🙏🌷

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  2. भगत सिंह रावत चाचा जी बहुत ही सुंदर सुशील स्वभाव के थे उनका व्यक्तित्व बहुत ही अच्छा था वह हर किसी के साथ हंसकर बात किया करते थे और उनकी मेहनत को तो हर कोई गांव वाला सलाम करता था
    गांव का कोई भी ऐसा काम नहीं था जिसमें वह शामिल न हो
    जो भी काम शुरू हो रहा है उसमें सबसे पहले चाचा जी जाते थे अपनी हाजिरी लगाते थे उसके बाद ही वह काम सफल होता था
    भगत सिंह रावत चाचा जी की याद हमारे दिलों में एक अमिट छाप की तरह बसी हुई है

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