भगत सिंह रावत जी का जन्म साल 1968 में मटकुंडा के एक साधारण परिवार में हुआ. इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा PIC INTER COLLEGE ललितपुर से पूरी की. हालांकि, वे पढ़ाई में बहुत अच्छे नहीं थे, लेकिन उनका अपने गांव और खेती के प्रति प्यार असीमित था. वे पढ़ाई से अधिक अपने खेतों और गांव की सेवा में रुचि रखते थे.
कठिन परिश्रम का प्रतीक:
भगत सिंह रावत को मेहनती कहने से उनका पूरा व्यक्तित्व समझ पाना शायद मुश्किल हो. एक समय था गांव के अधिकांश युवा जब दिल्ली और अन्य शहरों में रोजी-रोटी कमाने के लिए चले गए, तब भगत सिंह रावत ने गांव के लगभग हर परिवार के खेतों को जोतने का जिम्मा अपने कंधों पर लिया. उनकी मेहनत और दृढ़ संकल्प ने उन्हें गांव के हर व्यक्ति के दिल में खास जगह दी. वे कभी थकते नहीं थे और हमेशा मुस्कुराते रहते थे, चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हो.
समाज के हर पहलू में अग्रणी:
भगत सिंह रावत केवल एक मेहनती किसान नहीं थे, बल्कि वे सामाजिक कार्यों में भी अग्रणी भूमिका निभाते थे. चाहे कोई त्यौहार हो, शादी-ब्याह का आयोजन हो, या कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम, भगत सिंह रावत हमेशा आगे रहते थे। उनके नेतृत्व में हर कार्यक्रम सफलतापूर्वक सम्पन्न होता था. उनके साथ होने से लोगों में एक अलग ही जोश और उत्साह का संचार होता था.
हर दिल अजीज:
भगत सिंह रावत की सबसे बड़ी खूबी थी उनका मिलनसार स्वभाव। वे हर उम्र के लोगों के मित्र थे और उनकी बातें सुनने के लिए हमेशा तैयार रहते थे. गांव के बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी उनसे अपने दिल की बात साझा करते थे। उनकी सलाह और मार्गदर्शन हमेशा लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत रहे.अंतिम दिन और विदाई:
भगत सिंह का जीवन हमें क्या सिखाता है?
उनका जीवन हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो अपने समाज और देश के लिए कुछ करना चाहता है। भगत सिंह रावत, मतकुंडा गांव के लिए सदैव एक अनमोल रत्न रहेंगे.
इस प्रकार भगत सिंह रावत जी का जीवन हमें सिखाता है कि एक व्यक्ति के प्रयास से पूरे समाज का कल्याण हो सकता है। उनके योगदान और समर्पण के लिए पूरा मतकुंडा गांव सदैव उनका आभारी रहेगा.
3 टिप्पणियाँ
कतगा ही लोग ऊ कु स्टाइल म ठ्ठा भि लगान्द छे - हाँ ब्येटा ! ज्ये दिन तुम हमारे उमर ऐला न्ह तब चितैला😢😢🙏
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रद्धांजलि चाचा जी को🙏🙏🙏🙏🙏🌷
great
जवाब देंहटाएंभगत सिंह रावत चाचा जी बहुत ही सुंदर सुशील स्वभाव के थे उनका व्यक्तित्व बहुत ही अच्छा था वह हर किसी के साथ हंसकर बात किया करते थे और उनकी मेहनत को तो हर कोई गांव वाला सलाम करता था
जवाब देंहटाएंगांव का कोई भी ऐसा काम नहीं था जिसमें वह शामिल न हो
जो भी काम शुरू हो रहा है उसमें सबसे पहले चाचा जी जाते थे अपनी हाजिरी लगाते थे उसके बाद ही वह काम सफल होता था
भगत सिंह रावत चाचा जी की याद हमारे दिलों में एक अमिट छाप की तरह बसी हुई है